उत्तराखंड के सभी वन्यजीव अभ्यारण्य(All wildlife sanctuaries of uttarakhand)
आज के इस ब्लॉग में हम उत्तराखंड के सभी वन्य जीव अभयारण्य और उनके स्थापना दिवस और उनसे जुड़े हुए महत्त्वपूर्ण घटनाएं के बारे में पढ़ेंगे और साथ ही उत्तराखंड में स्थित संरक्षण आरक्षित(conservation reserve), उत्तराखंड में स्थित नंदा देवी जैव सुरक्षित क्षेत्र (Biosphere reserve ),उत्तराखंड में स्थित दो विश्व धरोहर(Two world heritage site) और वन्य जीवों से जुड़े हुए कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाएं के बारे में पढ़ेंगे।
वन्यजीव अभ्यारण्य की परिभाषा(Definition of wildlife sanctuary)
ऐसी जगह या वन जहां जानवर बिना किसी भय के सुरक्षित रहते हैं । सरकार (Government)अथवा किसी अन्य संस्था द्वारा संरक्षित वन, पशु या पक्षी विहार को वन्य जीव अभयारण्य कहते हैं। इनका उद्देश्य पशु, पक्षी या वन संपदा को संरक्षित करना, उसका विकास करना व शिक्षा तथा अनुसंधान के क्षेत्र में उसकी मदद लेना होता है।इस तरह से उत्तराखंड में भी 7 वन्य जीव अभयारण्य बनाएं गए है जो इस प्रकार से है। 1- गोबिंद वन्य जीव अभ्यारण्य
2- केदारनाथ वन्य जीव विहार
3- अस्कोट वन्य जीव विहार
4- मसूरी वन्य जीव विहार
5- विन्सर वन्य जीव विहार
6- सोना नदी वन्य जीव विहार
7- नंधौर वन्य जीव विहार
1- गोबिंद वन्यजीव अभ्यारण्य(Govind wildlife sanctuary)
- स्थापना- 1 मार्च 1955
- स्थिति- उत्तरकाशी
- क्षेत्रफल- 485 वर्ग किमी
- यह राज्य का सबसे पुराना वन्य जीव विहार है।
2- केदारनाथ वन्यजीव विहार(Kedarnath wildlife sanctuary)
- स्थापना - 1972
- स्थिति - चमोली,रूद्रप्रयाग
- क्षेत्रफल - 957 वर्ग किमी
- यह राज्य का प्रथम कस्तूरी मृग संरक्षण केन्द्र है।
- कस्तूरी मृग संरक्षण परियोजना 1972 के लिये इसकी स्थापना की गयी थी।
- यह सबसे बड़ा वन्य जीव विहार है।
3- अस्कोट वन्यजीव विहार(Askot wildlife sanctuary)
- स्थापना- 1986
- स्थिति- पिथौरागढ़
- क्षेत्रफल- 600 वर्ग किमी
- यहां सर्वाधिक कस्तूरी मृग पाये जाते हैं।
4- बिन्सर वन्यजीव विहार(Binsar wildlife sanctuary)
- स्थापना- 1988
- स्थिति- अल्मोड़ा
- क्षेत्रफल - 47 वर्ग किमी
5- सोना नदी वन्यजीव विहार(Sonnadi wildlife Sanctuary)
- स्थापना- 1987
- स्थिति- पौड़ी गढ़वाल
- क्षेत्रफल- 301 वर्ग किमी
- यहां राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के साथ ही प्रोजेक्ट एलीफेंट योजना प्रारंभ की गयी है।
6- मसूरी वन्यजीव विहार(Mussoorie wildlife sanctuary)
- स्थापना- 1993
- स्थिति- देहरादून
- क्षेत्रफल- 11 वर्ग किमी
- यह सबसे छोटा वन्यजीव विहार है।
- इसे विनोग माउंट क्लेव अभ्यारण्य भी कहते हैं।
7- नंधौर वन्यजीव विहार(Nandhaur wildlife sanctuary)
- स्थापना - 2012
- स्थिति - नैनीताल, चंपावत
- क्षेत्रफल - 270 वर्ग किमी
- यह राज्य सबसे नया वन्यजीव अभ्यारण्य है।
उत्तराखंड में स्थित संरक्षण आरक्षित(Conservation reserve in uttarakhand)
संरक्षण आरक्षित की परिभाषा(Definition of Conservation reserve)
संरक्षण आरक्षित संरक्षित क्षेत्र होते है। जो राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और आरक्षित/संरक्षित वनों के बीच बफर जोन या संयोजक और वन्यजीव गलियारे के रूप में कार्य करते हैं संरक्षण आरक्षित क्षेत्र कहलाते हैं उत्तराखंड में चार संरक्षण आरक्षित क्षेत्र है जो इस प्रकार से है ।
1- आसन बैटलैंड संरक्षण आरक्षिति(Aasan Wetlands)
- स्थापना- 2005
- स्थिति - चकराता देहरादून
- क्षेत्रफल- 440.40 वर्ग हेक्टेयर
- इसे ढालीपुर झील के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि यह ढालीपुर झील के नजदीक है।
- नोट- आसन बैराज पक्षी अभ्यारण्य की स्थापना 1967 में की गयी थी ।
2- झिलमिल झील संरक्षण आरक्षिति(Jhilmil Lake)
- स्थापना- 2005
- स्थिति- हरिद्वार
- क्षेत्रफल - 3783 वर्ग हेक्टेयर
- यहां बारहसिंगा मिलते हैं।
3- पवलगढ झील संरक्षण आरक्षिति(Pawalgarh Lake)
- स्थापना- 2012
- स्थिति- रामनगर
- क्षेत्रफल-5244 वर्ग हेक्टेयर
4- नैना देवी संरक्षण आरक्षिति(Nainadevi Conservation)
- स्थापना- 2015
- स्थिति- नैनीताल
- क्षेत्रफल- 21224 वर्ग हैक्टेयर (111 वर्ग किमी)
- यहां पक्षियों की 600 प्रजातियां पायी जाती हैं।
उत्तराखंड में स्थित जैव सुरक्षित क्षेत्र (Biosphere reserve in uttarakhand)
यह एक ऐसा क्षेत्र होता है। जहां किसी विशेष क्षेत्र में पाए जाने वाले जीव, जन्तु और पौधे और सूक्ष्मजीवों को संरक्षित किया जाता है ऐसे क्षेत्र जैव सुरक्षित क्षेत्र कहलाते है ये नेशनल पार्क से बड़े होते हैं। इनका क्षेत्रफल नेशनल पार्क से अधिक होता है।
उत्तराखंड में केवल एक जैव आरक्षित क्षेत्र है। जो नंदा देवी जैव आरक्षित क्षेत्र है।
नंदा देवी जैव आरक्षित क्षेत्र(Nanda devi biosphere reserve)
उत्तराखंड में स्थित विश्व धरोहर स्थल (world heritage site)
वन्य जीवों के लिए कुछ विशेष प्रबंध
- केदारनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य की स्थापना कस्तूरी मृगों के संरक्षण के लिये की गयी थी।
- सन् 1977 में महरूढी बागेश्वर में कस्तूरी मृग अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की गयी।
- सन् 1982 में कांचुला खर्क चमोली में कस्तूरी मृग प्रजनन एवं संरक्षण केन्द्र की स्थापना की गयी।
- 1990-91 से स्नो लैपर्ड योजना राज्य में चल रही है।
- 1991-92 से राज्य में टाइगर वॉच परियोजना चल रही है।
- 2014 में देहरादून वन्य जीव संस्थान में विश्व का पहला प्राकृतिक विरासत केन्द्र स्थापित किया गया।
- चीला वन्य जीव विहार और मालन पशु विहार पौड़ी में हैं।
- गोबिंद बल्लभ उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान नैनीताल में है। जिसकी स्थापना 1995 में हुई थी ।
- राज्य का प्रथम चिड़ियाघर - देहरादून चिड़ियाघर (2016) नोट: इससे पहले इसका नाम मालसी डियर पार्क था।
- जीवित जीवाश्म कहे जाने वाले जिंगो बाइबोला का प्रदर्शन क्षेत्र नैनीताल के समीप सडियाताल में स्थापित किया है। इसमें 112 नर व 1300 मादा पौधों का रोपण किया गया है।
- महाभारत के वन पर्व में ब्रह्मकमल को सौगंधिक पुष्प कहा गया है। स्थानीय लोग इसे कौल पद्म कहते हैं।
- रेड डाटा बुक नाम से लुप्त पादप प्रजातियों की सूची प्रकाशित करने वाले संस्थान का नाम भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण है।